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This stotram is in शुद्ध देवनागरी (Samskritam). View this in
सरल देवनागरी (हिंन्दी), with simplified anuswaras for easy reading.
श्री वेङ्कटेश मङ्गलाशासनम्
श्रियः कान्ताय कल्याणनिधये निधयेऽर्थिनाम् |
श्रीवेङ्कट निवासाय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ‖ 1 ‖
लक्ष्मी सविभ्रमालोक सुभ्रू विभ्रम चक्षुषे |
चक्षुषे सर्वलोकानां वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 2 ‖
श्रीवेङ्कटाद्रि शृङ्गाग्र मङ्गलाभरणाङ्घ्रये |
मङ्गलानां निवासाय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ‖ 3 ‖
सर्वावय सौन्दर्य सम्पदा सर्वचेतसाम् |
सदा सम्मोहनायास्तु वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 4 ‖
नित्याय निरवद्याय सत्यानन्द चिदात्मने |
सर्वान्तरात्मने शीमद्-वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 5 ‖
स्वत स्सर्वविदे सर्व शक्तये सर्वशेषिणे |
सुलभाय सुशीलाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 6 ‖
परस्मै ब्रह्मणे पूर्णकामाय परमात्मने |
प्रयुञ्जे परतत्त्वाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 7 ‖
आकालतत्त्व मश्रान्त मात्मना मनुपश्यताम् |
अतृप्त्यमृत रूपाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 8 ‖
प्रायः स्वचरणौ पुंसां शरण्यत्वेन पाणिना |
कृपयाऽऽदिशते श्रीमद्-वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 9 ‖
दयाऽमृत तरङ्गिण्या स्तरङ्गैरिव शीतलैः |
अपाङ्गै स्सिञ्चते विश्वं वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 10 ‖
स्रग्-भूषाम्बर हेतीनां सुषमाऽऽवहमूर्तये |
सर्वार्ति शमनायास्तु वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 11 ‖
श्रीवैकुण्ठ विरक्ताय स्वामि पुष्करिणीतटे |
रमया रममाणाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ‖ 12 ‖
श्रीमत्-सुन्दरजा मातृमुनि मानसवासिने |
सर्वलोक निवासाय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ‖ 13 ‖
मङ्गला शासनपरैर्-मदाचार्य पुरोगमैः |
सर्वैश्च पूर्वैराचार्यैः सत्कृतायास्तु मङ्गलम् ‖ 14 ‖
श्री पद्मावती समेत श्री श्रीनिवास परब्रह्मणे नमः