View this in:
English Devanagari Telugu Tamil Kannada Malayalam Gujarati Odia Bengali  |
Marathi Assamese Punjabi Hindi Samskritam Konkani Nepali Sinhala Grantha  |
This document is in सरल देवनागरी script with simplified anusvaras. View this in शुद्ध देवनागरी (संस्कृतम्), with appropriate anusvaras marked.

देवी अश्वधाटी (अंबा स्तुति)

(कालिदास कृतम्)

चेटी भवन्निखिल खेटी कदंबवन वाटीषु नाकि पटली
कोटीर चारुतर कोटी मणीकिरण कोटी करंबित पदा ।
पाटीरगंधि कुचशाटी कवित्व परिपाटीमगाधिप सुता
घोटीखुरादधिक धाटीमुदार मुख वीटीरसेन तनुताम् ॥ 1 ॥ शा ॥

द्वैपायन प्रभृति शापायुध त्रिदिव सोपान धूलि चरणा
पापापह स्वमनु जापानुलीन जन तापापनोद निपुणा ।
नीपालया सुरभि धूपालका दुरितकूपादुदन्चयतुमाम्
रूपाधिका शिखरि भूपाल वंशमणि दीपायिता भगवती ॥ 2 ॥ शा ॥

यालीभि रात्मतनुतालीनकृत्प्रियक पालीषु खेलति भवा
व्याली नकुल्यसित चूली भरा चरण धूली लसन्मणिगणा ।
याली भृति श्रवसि ताली दलं वहति यालीक शोभि तिलका
साली करोतु मम काली मनः स्वपद नालीक सेवन विधौ ॥ 3 ॥ शा ॥

बालामृतांशु निभ फालामना गरुण चेला नितंब फलके
कोलाहल क्षपित कालामराकुशल कीलाल शोषण रविः ।
स्थूलाकुचे जलद नीलाकचे कलित वीला कदंब विपिने
शूलायुध प्रणति शीला दधातु हृदि शैलाधि राज तनया ॥ 4 ॥ शा ॥

कंबावतीव सविडंबा गलेन नव तुंबाभ वीण सविधा
बिंबाधरा विनत शंबायुधादि निकुरुंबा कदंब विपिने ।
अंबा कुरंग मदजंबाल रोचि रिह लंबालका दिशतु मे
शं बाहुलेय शशि बिंबाभि राम मुख संबाधिता स्तन भरा ॥ 5 ॥ शा ॥

दासायमान सुमहासा कदंबवन वासा कुसुंभ सुमनो
वासा विपंचि कृत रासा विधूत मधु मासारविंद मधुरा ।
कासार सून तति भासाभिराम तनु रासार शीत करुणा
नासा मणि प्रवर भासा शिवा तिमिर मासाये दुपरतिम् ॥ 6 ॥ शा ॥

न्यंकाकरे वपुषि कंकाल रक्त पुषि कंकादि पक्षि विषये
त्वं कामना मयसि किं कारणं हृदय पंकारि मे हि गिरिजाम् ।
शंकाशिला निशित टंकायमान पद संकाशमान सुमनो
झंकारि भृंगतति मंकानुपेत शशि संकाश वक्त्र कमलाम् ॥ 7 ॥ शा ॥

जंभारि कुंभि पृथु कुंभापहासि कुच संभाव्य हार लतिका
रंभा करींद्र कर दंभापहोरुगति डिंभानुरंजित पदा ।
शंभा उदार परिरंभांकुरत् पुलक दंभानुराग पिशुना
शं भासुराभरण गुंभा सदा दिशतु शुंभासुर प्रहरणा ॥ 8 ॥ शा ॥

दाक्षायणी दनुज शिक्षा विधौ विकृत दीक्षा मनोहर गुणा
भिक्षाशिनो नटन वीक्षा विनोद मुखि दक्षाध्वर प्रहरणा ।
वीक्षां विधेहि मयि दक्षा स्वकीय जन पक्षा विपक्ष विमुखी
यक्षेश सेवित निराक्षेप शक्ति जय लक्षावधान कलना ॥ 9 ॥ शा ॥

वंदारु लोक वर संधायिनी विमल कुंदावदात रदना
बृंदारु बृंद मणि बृंदारविंद मकरंदाभिषिक्त चरणा ।
मंदानिला कलित मंदार दामभिरमंदाभिराम मकुटा
मंदाकिनी जवन भिंदान वाचमरविंदानना दिशतु मे ॥ 10 ॥ शा ॥

यत्राशयो लगति तत्रागजा भवतु कुत्रापि निस्तुल शुका
सुत्राम काल मुख सत्रासकप्रकर सुत्राण कारि चरणा ।
छत्रानिलातिरय पत्त्राभिभिराम गुण मित्रामरी सम वधूः
कु त्रासहीन मणि चित्राकृति स्फुरित पुत्रादि दान निपुणा ॥ 11 ॥ शा ॥

कूलातिगामि भय तूलावलिज्वलनकीला निजस्तुति विधा
कोलाहलक्षपित कालामरी कुशल कीलाल पोषण रता ।
स्थूलाकुचे जलद नीलाकचे कलित लीला कदंब विपिने
शूलायुध प्रणति शीला विभातु हृदि शैलाधिराज तनया ॥ 12 ॥ शा ॥

इंधान कीर मणिबंधा भवे हृदयबंधा वतीव रसिका
संधावती भुवन संधारणे प्यमृत सिंधावुदार निलया ।
गंधानुभाव मुहुरंधालि पीत कच बंधा समर्पयतु मे
शं धाम भानुमपि रुंधान माशु पद संधान मप्यनुगता ॥ 13 ॥ शा ॥




Browse Related Categories: