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अन्नमय्य कीर्तन सर्वान्तरात्मुडवु

सर्वान्तरात्मुडवु शरणागतुड नेनु |
सर्वापराधिनैति चालुजालुनय्या ||

वूरकुन्नजीवुनिकि वॊक्कॊक्क स्वतन्त्रमिच्चि |
कोरेटियपराधालु कॊन्नि वेसि |
नेरकुण्टे नरकमु नेरिचिते स्वर्गमण्टू |
दूरुवेसेविन्तेकाक दोषमॆव्वरिदय्या ||

मनसु चूडवलसि मायलु नीवे कप्पि |
जनुलकु विषयालु चवुलुचूपि |
कनुगॊण्टे मोक्षमिच्चि कानकुण्टॆ कर्ममिच्चि |
घ्नमु सेसेविन्दु कर्तलॆव्वरय्या ||

वुन्नारु प्राणुलॆल्ला नॊक्कनीगर्भमुलोने |
कन्नकन्न भ्रमतले कल्पिञ्चि |
यिन्निटा श्रीवेङ्कटेश येलितिवि मम्मु निट्टॆ |
निन्नु नन्नु नॆञ्चुकुण्टे नीके तॆलियुनय्या ||

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