अन्नमय्य कीर्तन नित्य पूजलिविगो
नित्य पूजलिविगो नॆरिचिन नोहो |
प्रत्यक्षमैनट्टि परमात्मुनिकि नित्य पूजलिविगो ||
तनुवे गुडियट तलयॆ शिखरमट
पॆनु हृदयमे हरि पीठमट |
कनुगॊन चूपुले घ्न दीपमुलट
तन लोपलि अन्तर्यामिकिनि ||
पलुके मन्त्रमट पादयिन नालुके
कलकल मनु पिडि घ्ण्टयट |
नलुवैन रुचुले नैवेद्यमुलट
तलपुलोपलनुन्न दैवमुनकु ||
गमन चेष्टले अङ्गरङ्ग गतियट
तमि गल जीवुडे दासुडट |
अमरिन ऊर्पुले आलबट्टमुलट
क्रममुतो श्री वॆङ्कटरायुनिकि ||