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अन्नमय्य कीर्तन दाचुको नी पादालकु

रागं: आरभि

दाचुको नीपादालकुदग ने जेसिनपूज लिवि |
पूचि नीकीरीतिरूपपुष्पमु लिवि यय्या ||

वॊक्क सङ्कीर्तनॆ चालु वॊद्दिकै मम्मु रक्षिञ्चग |
तक्किनवि भाण्डारान दाचि वुण्डनी |
वॆक्कसमगुनी नाममु वॆल सुलभमु फल मधिकमु |
दिक्कै नन्नेलिति विक नवि तीरनि ना धनमय्या ||

नानालिकपैनुण्डि नानासङ्कीर्तनलु |
पूनि नाचे निन्नु बॊगडिञ्चितिवि |
वेनामाल वॆन्नुडा विनुतिञ्च नॆन्तवाड |
कानिम्मनि ना कीपुण्यमु गट्टिति विन्तेयय्या ||

यीमाट गर्वमु गादु नी महिमे कॊनियाडितिगानि |
चेमुञ्चि नास्वातन्त्र्यमु चॆप्पिनवाडगानु |
नेमान बाडेवाडनु नेरमु लॆञ्चकुमी |
श्रीमाधवा ने नीदासुड श्रीवेङ्कटेशुडवय्या ||

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